Adhuri khwaish
लम्हें कुछ खाली है बाते कुछ अधुरी है अभी तो सिर्फ एक आहा भरी है मैंने कहने को बहुत कुछ बाकी है । ख्खाओं को उडान थोड़ी ऊँची है . रिश्तों की कड़वाहर थोड़ी मोठा है लोगों की बातें थोड़ी झठी है पर मजिल भी तो ऊँची है खुद से जीतने की जिद है । मुझे खुद को ही हराना है!